As we know that Yantra are made for special purpose so we should avoid duplicate material or content in making Yantra it can reduce the effect or power of Yantra. The below given things which are used in making Mayavi or Shaktishaali Yantra , these material is basic need to make a Yantra.
Panchgavye
Cow Urine, Dug of Cow, Curd made of Cow milk, Cow milk, Ghee
made of Cow milk. All these are called Panchgavye.
Panchamrit
Cow milk, Ghee from Cow milk, Curd from cow milk, saahad and
Gangajal. All these are called panchamrit .
Panch Ratan
Sona , Chandi, Tamba , Moti or Moonga insab ko panchratan
kahte hai .
Astgandha
Kesar, Kasturi, Agar, Tagar, Gorochan, Lal Chandan, Sindoor,
Safed Chandan , ityadi , all these is called Astgandha.
Tri Dhatu
Gold , Silver or
Copper is called Tri Dhatu.
Astdhatu
Gold, Silver ,
Copper , Iron , Para , Ranga , Glass and Jasta is called Ast Dhatu.
Bhoj Patra
Bhoj Tree leaves
are used as paper to write Yantra . written material on Bhoj patra does not
melt in water easily.
Tamr Patra
Copper metal paper
is also used to write Yantra.
Shankh, Sheep or Koadi
Shankh is used in
mostly holy riturals and even the sound of Shankh kills the germs around us. Koadi
is used in Tantra or in other Najar ke Totke. Sheep is found in sea. All these
tree are used in Yantra .
यंत्रो में उपयोग की जाने वाली वस्तुऍ
यंत्र शक्तशाली बने इसके लिए आपको निम्नलिखित वस्तुवो का ही प्रयोग करना चाहिए , नकली सामग्री यंत्र की शक्ति को कम कर शक्ति है। यंत्र का प्रयोग किसी विशेष इरादे और भावना से होता है इसलिए सामग्री का प्रयोग ठीक होना चाहिए।
पंचगव्य
गौ मूत्र , गौ का
गोबर , गौ का
दूध , गौ की
दही , गौ का
घी , इन सब
को पंचगव्य कहते
है।
पंचामृत
गौ का घी
, गौ के दूध
से बानी दही
, गाय का दूध,
शहद और गंगाजल
इन सब को
मिलाकर पंचामृत बनता है।
पंचरत्न
सोना , चांदी , तांबा , मोती
और मूंगा इनको
पंचरत्न कहते है।
अस्टगंध
केसर , कस्तूरी, अगर, तगर
, गोरोचन , लाल - चन्दन, सिन्दूर,
सफ़ेद चन्दन इत्यादि। इनसब
को अस्टगंध के
नाम से जानते
है।
त्रिधातु
सोना , चांदी , और तांबा
इनको त्रिधातु कहते
है।
अस्टधातु
सोना , चांदी , ताम्बा , लोहा
, पारा , रांगा , सीसा , और
जस्ता ,
भोजपत्र
यंत्र लिखने के लिए
भोजवृक्ष के पत्ते
का प्रयोग करे
है इसको कागज
की तरह यंत्र
के लिए प्रयोग
करे। यह
पानी में भी
जल्दी से नहीं
गलता।
ताम्रपत्र
ताम्बे के पत्र
पर भी यंत्र
लिखे जाते है।
शंख , शीप
या कौड़ी
शंख का प्रयोग
हम पूजा में
करते है। दक्षिणावर्ती शंख अपने
आप मैं काफी
प्रभावशाली होता है। कौडी
का प्रयोग नजर
व टोटके मैं
प्रयोग होता है। शीप
भी समुन्द्र की
तह में पाये
जाती है इन
तीनो का प्रयोग
तंत्र में किया
जाता है।
Related Searches
No comments:
Post a Comment