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Kundalini Jagran Avastha or Anubhuti कुण्डलिनी जागरण एक चमत्कारिक अवस्था

कुण्डलिनी जागरण एक चमत्कारिक अवस्था

कुण्डलिनी जागरण  को हम साधना का एक स्तर मानते है। जब कोई साधक अपने नियम के अनुसार अपने मन्त्र का जप करता है।  और ध्यान की अवस्था  में उसको अपना शरीर हल्का अनुभव होने लगे, कानो में घंटी या घुँघी या शंखनांद या  ओंकार का अपने आप गुंजन शुरू हो जाये इसके साथ साथ आपके मूलाधार में ऐसा लगे जैसे कोई ऊर्जा ऊपर की तरफ पलायन कर रही है। इसको कुण्डलिनी जागरण की आरंभिक अवस्था मन जाता है।  उस समय की अनुभूति ऐसी होती है जैसे बहुत दिनों के प्यासे को पानी मिल गया हो। ऐसा महसूस होता है जैसे रोते हुए बच्चे को उसकी माँ मिल गई हो। डूबते हुए को किनारा मिल गया हो।

Kundalini Jagran Avastha or Anubhuti कुण्डलिनी जागरण एक चमत्कारिक अवस्था


ये तो आरंभिक आनंद की अवस्था है जब कुछ समय इस का पान करते करते हो जाता है तो आनंद का स्तर भी बढ़ जाता है।
प्रारम्भ में आपको बंध आँखों में काला काला दिखाई देता है फिर पीला और नीला रंग दिखाई देता है। ये पीला और हल्का नीला रंग परमात्मा के पथ के रंग है।  एक अलग दुनिया के रंग है।  जो हर कोई इन साधारण आँखों से नहीं देख सकता है।

कुण्डलिनी जागरण  साधना का एक स्तर


कुंडली  जाग्रत होना एक सुखद अहसास का होना है। जैसे शराबी को शराब में , भोगी को भोग विलास में , कंजूस को धन संचय में मजा आता है उसी तरह से योगी को कुण्डलिनी जाग्रति में आनंद आता है।   टोने टोटके सिद्ध करना कुण्डलिनी जागरण से नीचे स्तर की साधना है। कुण्डलिनी जाग्रत जीव स्वयं भी परमातम मार्ग पर चलता है और दूसरो का भी सही मार्गदर्शन करता है।

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