टी बी या तपेदिक उपचार हेतु मंत्र
मन्त्र
ॐ कुबेर ते मुंख
रौद्र नन्दित्रा
नन्द भावः।
जवर मृत्यु
भय घोर विष
नाशय में जवरम।।
टी बी एक भयंकर रोग है। इसको जड़ से मिटने के लिए हम हवन के भी सहारा ले सकते है। उपरोक्त
दिए गए मन्त्र का १०८ आहुतियों के साथ हवन करे तो टी बी जैसा असाध्य रोग भी ठीक हो जाता है।
इसके लिए आपको १०८ आम के पत्ते तोड़ने होगे और उनपर देसी गाय का घी लगा दे। अगर घी जयदा है तो पुरे के पुरे पत्ते घी में डुबो दे। यदि रोगी की तबियत बैठने के लायक है तो हवन पे बैठ जाये अनयथा उनकी चारपाई हवन कुण्ड के पास डाल दे। हवन के दौरान रोगी को अपना मुह खुला रखना चाहिए। कभी कभी नाक से लम्बी लम्बी साँस ले। ताकि हवन की सुगंध फेफड़ो तक पहुंच जाये। हवन में समिधा आम की लकड़ी या बेरी या फिर पलाश की लकड़ी से बनाये।
हवन सामग्री को नीचे दिए गए तत्वों के मिश्रण से बनाये।
पर्णी , इन्द्रायण , अश्वगंध , गूगल , मंडूक , विधारा , तगर , शालपर्णी , रास्ना , मकोय , वंशलोचन , अडूसा , जायफल , बांसा , गुलाब के फूल , जटामांसी ,शतावरी , गोखरू , बड़ी हरड़ ,
हवन सामग्री को नीचे दिए गए तत्वों के मिश्रण से बनाये।
पर्णी , इन्द्रायण , अश्वगंध , गूगल , मंडूक , विधारा , तगर , शालपर्णी , रास्ना , मकोय , वंशलोचन , अडूसा , जायफल , बांसा , गुलाब के फूल , जटामांसी ,शतावरी , गोखरू , बड़ी हरड़ , पाण्डरी , लौंग , क्षीर , आवला , काकोली , अभिपरवाल , पिस्ता , जीवन्ता , बादाम की गिरी , पुनर्नवा , मुनक्का, नागेन्द्र बामड़ी , अपामार्ग , खूब कला और चीड़ का बुरादा। इंसबको बराबर मात्रा में मिश्रण कर ले। इसके साथ साथ चार भाग गिलोय , चार भाग कुष्ठ , केशर , देसी कपूर , चीनी व शहद दसवा भाग , गाय का घी अपनी जेब के हिसाब से और हवन सामग्री को गीला करने के लिए आवशकता अनुसार डाल ले। ऊपर दिए गए तत्वों से एक जीवंत सामग्री बन जाएगी जिससे रोगी के टी बी को ठीक होने में लगभग २१ दिन लग सकते है। जब तक रोगी ठीक नहीं होता इस हवन सामग्री की प्रतिदिन धूमनि जरूर दे। और हवन काल से २ घंटे पहले और २ घंटे बाद तक कोई अन्ये दवाई न दे।
यदि तबियत ज्यादा ख़राब है और जल्दी लाभ के लिए कोई अन्य दवाई देनी पड़े तो दूसरी बात है।
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