चन्द्र राशि के जिस नक्षत्र में विद्यमान होता है उसी
नक्षत्र से जातक का नामांकरण होता है । प्रत्येक नक्षत्र के चार चरण होते है । एक राशि
में ढाई नक्षत्र पड़ता है । और नाम के चार तरह के अक्षर पड़ते है ।
जब लड़का और लड़की की कुंडली मिलान होता है तब उनके नाड़ी, वश्य, गुण,तारा,योनि,वर्ण,वर्ग को मिलाया जाता
है । जिसमे अट्ठारह से ज्यादा गुण मिलना जरूरी माना गया है । क्यूंकि उसे कम मिलने
पर लड़का और लड़की में स्वाभाव का अंतर आ जाता है । और गृहस्थी में लड़ाई झगडे होते है
।
इसके अलावा कुंडली के ग्रहों का भी मिलान जरूरी होता है अन्यथा दो वैरी ग्रहो से
घर की सुख शांति भंग हो सकती है । नक्षत्रो और ग्रहों के साथ ही योनि और वैर योनि का
भी ध्यान रखना अनिवार्य है क्यूंकि यदि किसी वर की योनि हिरन है और वधु की योनि सिंह
है तो उनमे नहीं बन पाती है बल्कि हमेशा लड़ाई रहेगी क्यूंकि शेर हिरन को खा जाता है
इनमे परस्पर वैर होने के कारण ही इनका वर वधु का विवाह नहीं हो सकता है ।
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