मेष लग्न -
मेष
कालपुरुष की पहली राशि है इसका मालिक ग्रह मंगल होता है यह अग्नि तत्व प्रधान और पूर्व
दिशा वाली होती है । इस राशि के जातक साहसी और गुस्सैल होते है यह चर राशि है और यदि
मंगल भी इसी तरह के घर में बैठा हो तब जातक स्थान परिवर्तन करता रहता है यदि मंगल किसी
स्थिर राशि में विराजित हो तब स्थान परिवर्तन कम होते है । इनके भाग्य में भी बदलाव
होते है जायदाद आदि के लिए सोच विचार करते है ये जातक उच्च विचारो वाले महत्वपूर्ण
मनुष्य होते है ये जातक जन्म से ही उत्साही होते है जो इनकी सफलता की भूमिका होती है
।
मेष राशि सिर मानी जाती है अतः मंगल या राशि ख़राब हो तब सिर में दर्द रहता है और
आँखों और जुकाम आदि की बीमारी भी हो सकती है । मंगल सभी ग्रहों के सेनापति है इसलिए
ऐसे जातको को मुकाबला और प्रतिस्पर्धाओं में मज़ा आता है बुद्धिजीवी होने के साथ
साथ ये जातक जल्दी फैसला लेने वाले होते है परन्तु इनकी सहन शक्ति कम होने के कारण
इन्हें जल्दी गुस्सा आता है और छोटी सी बात को जल्दी दिल पर ले लेते है यही इनकी कमियां
होती है । परन्तु ये जातक जल्दी ही दिल से बातों को निकल भी देते है और फिर से
मिलनसार हो जाते है इन जातको को सेना Army, Administration - प्रशासन, Industrial knowledge and manufacturing - कारखाने उद्योग, confectionar
- आग के पास काम जैसे हलवाई आदि का, BAMS - वैद्य
आदि इनके कार्य क्षेत्र बन सकते है ।
ऐसे
जातक इंजीनियर, सर्जन, हिम्मत वाले कामों
में धनउपार्जन करना उचित समझते है । मंगल औजारों और शस्त्रों के देवता है इसीलिए औजारों
से होने वाले काम मंगल प्रधान जातक करते है । इसी वजह से मंगलवार को लोग बल नहीं कटवाते
क्यूंकि इससे शनि और मंगल की युति बनकर दिक्कते बढ़ा देती है
ग्रह
अनुसार मेष लग्न के जातकों का फलादेश और भावफल -
सूर्य- सूर्य इस राशि में इन सबका कारक ग्रह
है विद्या, दिमागी शक्ति, भाषा ज्ञान,
ओजस्विता और मुख का तेज़ ।
चन्द्र- चन्द्र इस राशि में इन सबका कारक ग्रह है समृद्धि, सुखी
व शान्ति, मनोबल, माँ, जमीन- जायदाद, प्यार और भाई
-बंध आदि ।
मंगल- शरीर व सेहत की सुंदरता, उम्र का अंदाजा, आत्मा का बल,
प्रसिद्धि, पेट में दर्द और पुरातन ।
बुध- बहना, खोज बीन वाले रास्ते, साहस,
बीमारी, परिश्रम व मेहनत और हिम्मत का कारक है
गुरु- बुद्धिमता , ज्ञान , प्रसिद्धि , धर्म कार्य,
यशगान, सुंदरता, सम्बन्धी
और दिल की ताकत ।
शुक्र- धन- वैभव, कुटुंब, पत्नी, रोजगार या कारोबार और भोग आदि ।
शनि- पिता से लाभ , रोजगार व कारोबार सम्बन्धी बातें,
राज कार्य में व्यहार कुशल, मान प्रतिष्ठा व
समर्धि, आय के साधन और नियंत्रण ।
राहु- चिंता, छिपी बातें, रोचक बातों
की जानकारी, अचानक ज्यादा लाभ की नीतियाँ ।
केतु
-
अंतर्मन या आत्मा का बल और जीत ।
राहु
केतु दोनों ही ऐसे गृह होते है जिनकी स्वयं अपनी राशि ही नहीं होती है ।
ये
जिस भी भाव में जिस ग्रह के साथ विराजित होते है वैसा ही फल देते है । इस लग्न में
मंगल लग्नेश और अष्टमेश की स्तिथि में होता है सूर्य पंचम भाग का स्वामी है और गुरु
भाग्य स्थान का मालिक है और व्यय और खर्चों के लिए जिम्मेदार भी है । ये सारे ग्रह
शुभ है शुक्र २ और ७ भाव का स्वामी है मारकेश दशा का स्वामी है यह पैसे के लिए सही
है पर सेहत के लिए नहीं वही बुध ३ और ६ भाव का स्वामी है इस कारण परेशानी देने वाले
पर काम धंधे के लिए उचित है । लग्न का दुश्मन होने पर भी आमंदनी और आय के लिए उत्तम
माना गया है । जब कुंडली देखनी हो तो लग्न , चन्द्र लग्न और सूर्य
लग्न तीनों का अध्ययन करने के बाद ही फल बताना उचित होता है । इस राशि के जातकों के
लिए मूंगा धारण करना सही रहता है यह शरीर को ठीक रखता है मोती सदेश सुख और मन की शांति
के लिए धारण किया जाता है और माणिक्य नग को धारण करने से पढ़ाई लिखाई और संतान व औलाद
से सुख प्राप्त होता है. पुखराज धारण करने
से भाग्योदय की संभावना बढ़ जाती है ।
यदि गरीब होने के कारण नग धारण नहीं कर सकते
तो आत्म शांति के लिए गीता का एक पाठ रोज करे , भाग्य उदय के लिए हनुमान चालीसा का
पाठ प्रतिदिन करे , इस सबके अलावा भाग्य में तरक्की के लिए प्रतिदिन एक पेज सुंदरकांड
अथवा रामायण का पाठ करना उत्तम कार्य है, व्यापार वर्धि के लिए पक्षियों को दाना
जरूर डाले, धन के अभाव में अपने से कमजोर व्यक्ति की सहायता करे ऐसा करने से सामान
फल मिलेगा ।
जय
श्री राम जी
I have mahalaxmi idol of size 8inches*6 inches in my daily pooja. as per vastu it is bigger than my thimb size.Should i contnue its pooja or keep it other than my daily pooja? Kindly guide me. My email id is unmesh_c_vaidya@yahoo.com
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