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श्राद्ध पूजन की विधि विधान | Shradh Paksh Poojan

श्राद्ध पूजन की विधि विधान ?

श्राद्ध अपने पूर्वजों और पितरो की शांति का लिए किये जाने वाला कर्म है | श्राद्ध कर्म अपने पूर्वजों का आशीर्वाद उनकी मृत्यु के बाद भी पाने का भी आसान उपाए है | मान्यता अनुसार हमें अपने माता – पिता व परिवार के सभी सदस्य जो मृत्यु को प्राप्त हो चुके है उन सभी का श्राद्ध करना अनिवार्य होता है | श्राद्ध कर्म को पितृ कर्म या पित्रों की पूजा भी कहा जाता है| आश्विन कृष्ण प्रतिपदा से लेकर अमावस्या तक हमारे सभी पितृ धरती पर हमारे आस पास उपस्थित रहते है | हम श्रद्धा और प्रेम पूर्वक जो भी अपने पित्तरों के लिए और उनकी आत्मा की तृप्ति और सतुष्टि के लिये जो भी अर्पित करते उसे श्राद्ध कहते है | पितृ के लिए उसका पुत्र  या उसका परिवार उडद की दाल और चावल का पिंड दान करता है तो मृत्यु उपरांत भटकते हुए पूर्वजों को शान्ति प्रदान करता है| सभी के पितृ 16 दिन में अश्विन कृष्णपक्ष की प्रतिपदा से लेकर अश्विन पक्ष की अमावस्या तक अपना अपना हिस्सा ले कर  वापस चले जाते है इसी को पितृ पक्ष कहते है | अपने माता – पिता का नाम और गोत्र का नाम लेकर मन्त्रो सहित अन्न जल आदि अर्पित किया जाता है वह उनको मिलता है और अपने अपने कर्मो के अनुसार उनको देव योनी मिलती है तो उन्हें अमृत रूप में, अगर वो गन्धर्व लोक में है तो भोग्य रूप में मिलता है , अगर वे पशु योनी में है ती पत्ते के रूप में , अगर वे सर्प योनी में है तो हवा के रूप में , अगर दानव योनी में है तो मांस के रूप में, अगर प्रेत योनी में है तो खून के रूप में, अगर मानव योनी में है तो अन्न के के रूप में अपने हिस्से का भोजन प्राप्त करते है | जब पितृ यह सुनते है की श्राद्ध पक्ष शुरू हो गया है तो वे एक दूसरे को याद करते हुए मन के रूप में श्राद्ध स्थल पर उपस्थित हो जाते है |  ब्राह्मणों, नभ चर, जल चर, पशु, पक्षी और वायु आदि के रूप में भोजन करते है | और अमवस्या वाले दिन तो वो हमारे घर में उपस्थित होते है परन्तु हम उन्हें सामान्य आँखों से नहीं देख सकते | जब वो देखते है कि हम पूरे विधि विधान से हम उन्हें याद कर रहे है तो वो हमें आशीर्वाद देते है | और अपने स्थान की ओर प्रस्थान करते है |  
अगर हम किसी पवित्र नदी के संगम या किसी तीर्थ स्थान पर नहीं जा सकते तो तो हमें घर पर ही ये कर्म कर लेना चाहिए |
श्राद्ध पूजन की विधि विधान , Shradh Paksh Poojan , pitro ke than ke pujan ka vidhi vidhan,
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14 दिन तक पूर्वजों में जिस किसी का भी श्राद्ध हो उस दिन सुबह सबसे पहले नहा धोकर  अपनी रसोई साफ़ करे, उसके बाद 6 रोटी या पराठे बनाये या  अगर आप चाहे तो पूरी भी बना सकते है |  ऊपर आप खीर या मीठे सेवैया या चीनी रख कर 2 गाय को, 2 कुत्तों को और दो कौवे को खिलाओ | सबसे पहले हमें खीर बनानी चाहिए, जिसमे सूखे मेवे, इलायची और केसर डाल दे | पूरी और हलवा बना ले | उसके बाद  गाय के गोबर के उपले को जला कर प्रज्वलित कर ले और उसे किसी शुद्ध स्थान पर रखे  और किसी बर्तन में रख कर खीर की तीन आहुति दे | उसके बाद आप 16 पीपल के पत्ते ले और उन्हें जल से साफ कर के भूमि पर रखे | उसके बाद 8 पूरी ले, चार पत्तो पर साबुत पूरी रखे , और 2 में से 4 टुकड़े कर लो, चार पत्तो पर आधी आधी रखे | उसके बाद पूरी में से चार टुकड़े करे और चार पत्तो पर रखे उसके बाद जितने पत्ते आपने निकाले है सब में से थोड़ी थोड़ी पूरी खीर और हलवा ले कर पूरियो के ऊपर थोड़ी खीर और थोडा हलवा रखे | और अपने पास एक जल का लोटा भर के रखे |  और हाथ से थोड़ी खीर और पूरी का टुकड़ा तोड़े और अपने पितरो को याद करते हुए जल में डाल दे  | उसके बाद ये जल सूर्य को अर्पित करे |  फिर सबसे पहले गाय को खिलाये फिर काले कुत्ते को उसके बाद कौवे को खिला दे | और एक भाग चीटियों को भी अर्पित करे | उसके बाद परिवार के सदस्य भोजन ग्रहण करे | एक बात का ख्याल रखे की आपका मुहँ दक्षिण दिशा की तरफ होना चाहिए | अगर किसी कारण वश आप अपने किसी पितृ का श्राद्ध भूल जाते है तो आप अमवस्या वाले दिन अपने पितरो को याद करते हुए प्रेम और श्रद्धा भाव से उनका श्राद्ध करे | और उनसे अपनी भूल चूक की माफ़ी मांग ले | और सके तो आप अपने पित्तरों के नाम के कपडे भी दान कर सकते है | 

श्राद्ध पूजन न करने से  नुक्सान ?
अमावस्या के दिन सभी पितृ इसी आशा में आते है की उनके वशंज उन्हें याद करे अगर कोई अपने पितरों को याद नहीं करता है तो वे रुष्ट होकर चले जाते है | अगर हम अपने पितरों का सम्मान नहीं करते हो तो हमें उनकी नारजगी से कई तरह के कष्ट झेलने पड़ते है |
जैसे -- 
सन्तान न होना :- अगर आप अपने पितरों का अनादर करते है तो आपको सन्तान पैदा होने में बाधा उत्पन्न हो सकती है या आपको कभी भी संतान का सुख नहीं मिलेगा| अगर आपको सन्तान हो भी जाती है तो उसे बिना कारण कष्टों का सामना करना पड सकता है ये सब पितृ दोष के करण होता है |
विवाह न होना  :- पितृ रुष्ट है तो आपका विवाह होगा ही नही | फिर आप विवाह के लिए कितने भी प्रयत्नं क्यों न करे | अगर होता है तो इतनी देर से होता है की आपके बाल सफेद हो जाते है और आपकी उम्र निकल जाती है  |

अवंशानुगत :- आपके व्यापार में नुकसान, परिवार में कलह और बीमारी यह सब तब होता है जब आपके पितृ आपसे रुष्ट होते है | तो आपको अपने पितरों को हमेशा खुश और शांत रखना चाहिए क्योंकि हम जो भी कुछ होते है उनकी वजह से ही होते है | तो हमें सदैव इनकी शान्ति  और मोक्ष की प्रार्थना करनी चाहिए |

pitra paksha or kanagar mein ya shradh mein poojan ki vidhi vidhan hona jaroori hai, iska simple or sadharan sa upaye hai, vanshanuganugat or vidhi anusaar, vivah na hona, shaadi hone mein problem hona, riste na milna, pitra paksh ke samye or time par hamra aas paas hamare poorvaj or pitra hawa or vaayu roop mein present or maujood rahate hai, iske liye halwa poori, saag , misthan , kheer, ityadi banai chahiye, cow or gaw ko roti, pakshiyon , crow or kavon ko roti, kutton or dogs ko roti deni chahiye, yeh bhog hamare pitron ko lagta hai, ve vaayu roop mein iska sevan karte hai or hume aashirvaad dete hai,  ek manyta ke liye hume vo hi milta hai jo humne daan mein diya hai, at daan hume saidev bhojan dena hi uttam hota hai taaki aapko sahi time par sahi bhojan mil sake, aapko 

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