शनि-
शनि ग्रह निम्न वस्तुओं का कारक ग्रह है । जड़त्व, स्थिर,गति में अवरुद्धता, लम्बे समय के कार्य, शिला, सेवक, नीच, निम्नतम कार्य, बलिदान,वैराग्य, जहर, धीमी गति, आयु, कड़वी वाणी, काला रंग, कमजोरी, योग, वायु, विमान यात्रा, नस , कमी, गरीबी, लौह धातु, वाहन, मशीने, दर्शन शास्त्र, तेल व पट्रोल, कोयला, खेत व खेतर मजदूर, भाग्य,घर में कलह, नपुंसकता, चोट,दुर्घटना, न्यायालय, बाल, सभी मेहनतकश लोग जैसे मोची,लोहार, जल्लाद, मजदूर, जादूगर, जेल, जूता, दुर्दशा, चना,काली उड़द की दाल, सीमेंट, ईंटे, मगरमच्छ, जादू-टोना, जीवों की हत्या ,शिल्प कार्य, बढ़ई आदि ।
शनि अच्छा होने पर निम्न व्यवसायों में सफलता देता है । तकनीकी कार्य, शिल्प शास्त्र, मशीन सम्बन्धी कार्य, देसी-विदेशी भाषाओं का ज्ञान, लकड़ी उद्योग, चमड़ा उद्योग, घर बनाने वाले मजदूर, हार्डवेयर सामान, तेल व पेट्रोल का व्यापार, भूमि की खरीद बेच, अविष्कार, वैज्ञानिक कार्य, अधीनस्थ कार्य करने वाले,विदेश यात्रा आदि ।
बीमारियां-
शनि ख़राब स्तिथि में होने से निम्न बीमारी हो सकती है । पागलपन, वात या गैस के रोग, गठिया बाय, स्नायु तंत्र में समस्या, दुर्घटनाये, पैरों में चोट आदि । शनि न्याय और भाग्य के देवता है ये सभी मनुष्यों के कर्मों के अनुसार भाग्य देते है । शनि की दशा से सब लोग डरते है क्यूंकि बीमारी, कलह, गरीबी और मुक़दमे आदि ये सब इन्ही की दशा में मनुष्य भोगता है ।
परन्तु मनुष्य का धर्म है की वह अपने कर्मो में सुधार करे और दीन दुखियों, गरीबों, मजदूर, गरीब किसानो, अधीनस्थ काम करने वालों पर अत्याचार ना करे । क्यूंकि दुआओं से ही आशीष मिलता है और शनि देव भी शांत रहते है । शनि महाराज दुखों की अग्नि में तपा कर मनुष्य को सोने की तरह निखार देते है ।
No comments:
Post a Comment