ग्रह और तत्व का फल कथन-
शास्त्र सम्मत नौ ग्रह होते है जो इस संसार की समस्त
चीज़ों का प्रतिन्धितित्व करते है । यदि ग्रह उत्तम स्तिथि में हो तो अच्छा फल देगा
अगर ग्रह सही स्तिथि में ना हो तो बुरा प्रभाव देता है ।
सूर्य-
सूर्य इन चीज़ों को मजबूत करता है:- माणिक्य रत्न, सरकार, आत्मा, नेत्र, आजीविका का साधन दिल के रोग , हड्डियों के रोग,
आदर की भावना, अलगाव, स्नायुमंडल,
सिर दर्द, नेत्र विकार, सोना,
सीने की चौड़ाई, पुरुषतत्व, अपच की समस्या होना, प्रकाश, जीवन
की रोशनी, अपने रस्ते पर चलते जाना, अपनी
आत्मा की आवाज़ सुनने वाला व्यक्ति जो सूर्य की धातु ताम्बे के जैसे तप कर चमक जाता
है।
व्यवसाय- विज्ञानं, इंजीनियर, प्रशासनिक
अधिकारी, शिक्षक, मेडिकल, बिजली कार्यों में और मंत्र ज्ञाता व यज्ञ कर्ता आदि ।
बीमारियां- सिर में पीड़ा, बुखार, नेत्र रोग,
दिल के रोग, पेट की बीमारी, हड्डियों की बीमारी । ये सभी बीमारियां सूर्य के आभाव में होती है ।
शनि-
शनि की दृष्टि होने से या राहु केतु के साथ होने से रसौली, पत्थरी,मिर्गी, मधुमेह और कैंसर
की समस्या हो सकती है ।
अब ये बात समझने वाली है की सूर्य ही जीव की आत्मा होते
है इसीलिए उन्हें पिता की संज्ञा दी गयी है । वह जीवों का पालन पोषण करने वाले और जीवन
दाता होते है । इसीलिए हर प्रारम्भ का विचार सूर्य से किया जाता है । सूर्य के बिना
तो जीवन की कल्पना ही नहीं कर सकते है । सूर्य ही ऊर्जा का स्त्रोत है सूर्य ही रोशनी
का स्त्रोत है इसलिए हर चीज़ का मुखिया सूर्य को ही माना गया है । जैसे बुध सूर्य के
पास होता है तो वह सूर्य से रोशनी लेकर हमें विद्या की रोशनी देता हैं और सारे शरीर
में रक्त का आवाजाही दिल के द्धारा होती है इसलिए सूर्य को दिल का कर्क ग्रह माना गया
है ।
चन्द्रमा-
मुक्तामणि, माँ, मन, ब्राह्मणो का आदर, गन्ना, चांदी
धातु, पैसा, दुग्ध, जल, नदियाँ,समुन्द्र, माखन, ऐश्वर्या,
यात्रा, गति, भावुकता,
सुंदरता, यादाश्त, दयावान,
ममता, सफ़ेद रंग, बरगद वृक्ष,जलीय पदार्थ, बुध इंसान, सौंदर्य,
सरकार का अनुग्रह, हँसी मजाक, यश कृषि, पत्नी, फेफड़े आदि ।
व्यवसाय- उत्तर पश्चिम दिशा, लेखक, मेडिकल
की पढ़ाई, सौंदर्य सामानो की बिक्री, दवा
की कंपनी, दुग्ध उत्पाद, मोती आदि के आभूषण,
धन, खुशबूदार चीज़ो की बिक्री, विदेश समबन्धित व्यापार आदि।
रोग- चन्द्रमा ख़राब स्तिथि
में हो तो ये रोग परेशान करते है । नजला-जुकाम,सर्दी, पेट के रोग, अशुभ ग्रहों
के साथ होने पर आँखों की बीमारी, कैंसर, मिर्गी, टी बी.,मनोरोग,
बैचैन मन और तन, घबराहट आदि ।
चन्द्र माता का कर्क ग्रह है यह माता के समन मनुष्य
की रक्षा करता है । इसके सही स्तिथि में होने से आधी कुंडली सही हो जाती है । चन्द्र
को ग्रहों में स्त्रीलिंग माना जाता है जैसे एक स्त्री धन सम्पति को संभालती है उसी
तरह धन आदि का रख रखाव भी इसी ग्रह के जिम्मे है । चन्द्र भावनाओं का ज्ञाता है जीवन
के सुख दुःख को मन से एहसास करता है । जिसका चन्द्र कमजोर होता है उसका बाल्यकाल दुखों
में बीतता है इसलिए चन्द्र का बलवान होना आवश्यक समझा जाता है|
मंगल-
मंगल ग्रह इन चीज़ों
का प्रतिनिधित्व करता है- खून,पित,
धीरज, आग, शौर्य,
गुस्सा, जमीन जायदाद, मूंगा
रत्न, दुश्मन, मांस, हिंसा, युद्ध और युद्ध के सामान, जिद्द, खतरनाक काम, निडरता,
पौरुष बल, लाल रंग, छोटा
भाई, ऑपरेशन, गाड़ी चलाना, उत्तम कार्य क्षमता, अच्छाई को अपनाना, सौंफ, खांड, मसूर की दाल,
कस्तूरी, लाल फल, बाजु,
रसोई , वाक शक्ति, हिरन की
खाल आदि ।
व्यवसाय- मंगल प्रधान व्यक्ति इन व्यवसायों में कामयाब हो सकते है । बिजली कार्य,
ऑपरेशन, शिक्षा, शास्त्र,
अग्नि कार्य ,खेल कार्य, खेती, भू विज्ञानं, डाक्टरी की
पढ़ाई, सेना,बेकरी, पुलिस आदि के कार्य मंगल से सम्बंधित होते है ।
बीमारियां - पित के रोग,
खून की बीमारियां, खून की कमी, मंगल का रंग लाल होता है अतः हमारे रक्त के स्तर की तुलना मंगल की स्तिथि से
होती है ।
मंगल साहस और शौर्य का ग्रह है इसलिए जीवन की परिस्तिथियों
से जो जल्दी हार मान जाते है उनका मंगल कमजोर होता है । मंगल भाई का कारक ग्रह है अतः
अपने भाई के साथ रिश्ते सुगम बना कर रखने से मंगल सही रहता है और बुरा फल नहीं देता
है ।
बुद्ध-
बुद्ध अति शुभ ग्रह है यह इन चीज़ो का कारक ग्रह है - दिमाग, पढ़ाई, बाल्यकाल,
श्वास तंत्र, हरा रंग, कफकारक,
वात प्रकृति, चेतना, नाक
,दांत, विवेक, अंतड़िया,
मौसी,बहन,बुआ, नर्से , पक्षी वर्ग, हरी मूंग,
बाज़रा, कौड़ी, संगीत वाद्य
यंत्र, संदूक, पगड़ी, रेडियों, पुराने वृक्ष, जादू,
आध्यात्मिकता, घास, हरी सब्जियां,
पन्ना, हिसाब किताब,मुंशीगिरी,
बुद्धि से सम्बन्धी कार्य, मटका, पानी की गड़वी, प्याज़, लोटा,
मिले हुए रस या पदार्थ, ज्योतिष विद्या, लेखन,
नपुंसक लिंग, ठंडा ग्रह, फिटकरी, दलाल, सट्टे आदि कार्य,
चापलूस, कला, फेफड़े,
पेड़ पौधे, हवन यज्ञ कार्य, खेल की जगह या मैदान, सीढ़िया, साली,
उत्तर दिशा, यादाश्त, अंडा,
पुंछ, फिल्म सिनेमा, संगीत
वाद्य यंत्र आदि ।
व्यवसाय- दिमागी कार्य , बैंक कार्य, वकालत,
तकनीकी कार्य, ज्योतिष शास्त्र, वाहन चालक, शेयर बाजार, लेखन और
छपाई, डाक तार विभाग, संचार, रेडियो, समाचार, शिक्षण,
रेलवे, अध्यापन, पुस्तक व्यापार,
नर्स आदि ।
बीमारी- आंतों की बीमारी,
नसों की बीमारी, त्वचा सम्बन्धी विकार,
कुष्ठ रोग आदि बुद्ध अच्छा होता है तो नौकरी और व्यवसाय में तरक्की देता
है और यदि ख़राब हो तो त्वचा,कुष्ठ, आंतें
और दांतों की बीमारी देता है ।
गुरु-
गुरु इनका कारक ग्रह है - पति, बच्चे, विशालकाय, महानता, पुखराज रत्न, बेसन,चने की दाल, पीला रंग, बड़ा भ्राता,
लिवर, मांस, पूर्व दिशा,
धार्मिक कार्य, कपडे, अध्यात्म,
शिक्षक, उत्साह, पुरुष बल,
शिक्षक, जज कार्य, बीमा,
बैंक, हल्दी, केसर,
मुर्गा, पुरोहित, पीपल का
पेड़, कानून सम्बन्धी कार्य, सत्य मार्ग,
सात्विक प्रवृति, यज्ञ कर्म, बाबा ,पुरोहित या पंडित,स्वर्ण,
विद्या,पूजा स्थल और वित्त सम्बन्धी कार्य आदि
|
व्यवसाय- गुरु इन कार्यों के
कारक ग्रह है । शिक्षण, धर्म कार्य, पूजा
पथ, वित्त कार्य, प्रशसनिक कार्य,
उच्च पद प्रतिष्ठा, उत्तम शिक्षित, जज, उत्तम निर्णय क्षमता आदि ।
रोग- गुरु यदि ख़राब स्तिथि
में होगा तो जिगर ख़राब करता है, कमर पेडू में दर्द, बच्चे न होना, फोड़े फुंसी आदि बीमारियां रहती है ।
अच्छा होने पर उपरोक्त विभागों और कार्यों में सफलता
देता है । स्त्री की कुंडली में गुरु पति का कारक ग्रह है यदि गुरु कमजोर होगा तो लड़की
को पति सुख नहीं मिलता है । इसलिए कुंडली मिलान के समय गुरु की स्तिथि पर विचार करना
भी जरूरी होता है ।
शुक्र-
शुक्र ग्रह इन तत्वों का कारक है । अौरत, पत्नी,
मुंह, गला, हीरा,
भोग सामग्री, सौन्द्र प्रसाधन, सौंदर्य शिक्षा, सामाजिक संपर्क, सुगन्धित पदार्थ,भागीदार, दक्षिण
पूर्व दिशा,काव्य कला,काम शास्त्र,
कफ कारक, कला में रूचि, गाना,
चंडी, जमीन,स्त्री,
धन, दही, फूल,फल, कृषि कार्य, विवाह कार्य,
टेंट हॉउस, जेवरात,वस्त्र आदि ।
व्यवसाय- नाच गाना कला, संगीत, अभिनय,
गीत लेखन, स्त्री और सौंदर्य शिक्षा, सिनेमा कला, टी. वी., रुई वस्त्र उद्योग, रत्न उद्योग, वाहनो की खरीद फ़रोख्त,रसायन शास्त्र, शराब उद्योग, सुगंध पदार्थों का कार्य, वकालत या कानून समबन्धी कार्य आदि ।
बीमारियां- शुक्र के कमजोर होने से निम्न बीमारियां हो सकती है मधुमेह, गुप्त रोग, कमर या मुख की बीमारी, शुक्राणु की कमी आदि रोग होते है ।
शुक्र के कमजोर होने से पत्नी सुख की कमी रहती है गृहस्थ
जीवन में कष्ट रहता है । जीवन की सुख सुविधाओं में कमी आती है । जीवन कष्टमय परिस्तिथियों
में बीतता है ।
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