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राशि और भाव कुंडली में अंतर | Lagan or Rashi Bhaav Mein Antar

राशि और भाव कुंडली में अंतर-

विचार अनुसार बारह राशि और बारह कुंडली में खाने होते है जो सभी राशियों का स्थान होता है । कई बार राशि समय की कुंडली और योग बहुत अच्छे होते है परन्तु ऐसा हो नहीं रहा होता इसका कारण है की कुंडली में जो ग्रह राशि में होता है उसी के अनुरूप नामकरण होता है और अच्छी स्तिथि में फलादेश किया जाता है परन्तु यदि ग्रह किसी अशुभ ग्रह से पीड़ित या दृष्ट हो तब वह उल्टा प्रभाव कर सकता है । जैसे शुक्र यदि किसी की कुंडली में ११ घर में हो तो जातक धनी होता है परन्तु जब शुक्र १२ घर में हो तो यह अच्छा फल नहीं देता है ।

इसीलिए जन्म कुंडली और चलित कुंडली देखकर ही फलादेश किया जाता है जो ग्रहो की स्तिथि देखकर बताया जाता है । कुंडली में ग्रह लग्न स्थान पर ६०% और चलित कुंडली में ४०% फल देता है ।

Lagna or Rashi Bhav Mein Antar
Lagna or Rashi Bhav Mein Antar


चलित कुंडली का निर्माण करते वक्त देखते है की लग्न का अंश ग्रह के अंश से ज्यादा है या कम है अगर लग्न का अंश ग्रह अंश से ज्यादा होता है तब ग्रह अंश के कम हो जाने से ग्रह अपने भाव से एक भाव पीछे हो जाता है  जैसे किसी कुंडली में यदि बृहस्पति का अंश ११/१०/३८/५० है और लग्न का अंश ११/२०/५९/४० है तो लग्नन्श ज्यादा हुआ तो गुरु अपने भाव से एक घर पीछे आ गया इसी प्रकार शुक्र की स्तिथि भी माप सकते है यदि लग्न अंश ११/२०/५९/४० है और शुक्रांश ११/०२/५१/०३ है तो कम होने पर यह अपने भाव से एक घर नीचे आ जाता है । इस कुंडली में बुध का अंश द्वितीय घर में विराजित है और राहु केतु चलित कुंडली में भाव उत्क्रमण कर चौथे और दशम भाव में बैठे है जबकि जन्म कुंडली में राहु मंगल के साथ विराजित था अंश कम हो जाने के कारण राहु भी पिछले भाव में आ गया है । ग्रह चलित कुंडली में ४०% फल उसका देते है जिस भाव में वे विराजित होते है । 

2 comments:

  1. Namaskar,
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    Illustration

    Taking example of a chart where many planets are changing their position in Bhav Chalit

    Name Umesh
    Date 31 May 1992
    Time 11:12 A.M.
    Place Jaipur Rajasthan

    Leo Lagna, In Shripati Bhav Chalit, Saturn moves from 6th to 7th, Mars from 8th to 9th, Sun Mercury from 10 to 11.
    How should one go about making prediction in such charts?
    I have doubts about bhav chalit
    Regards,
    Abhishek

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  2. पाराशर ज्योतिष के अनुसार वक्री ग्रह जिस भाव में हो वहां से पिछले भाव का फल भी प्रदान करते है । चलित कुंडली से ग्रहो की भाव स्थिति देखते है ऐसा कहा जाता है लेकिन ग्रह अपनी लग्न कुंडली में अपनी वास्तविक भाव स्थिति का भी फल प्रदान करता है यानि भाव बदलाव होने की परिस्थिति में ग्रह दोनों भावों का मिला जुला फल प्रदान करता है और किसी कुंडली में यदि तीन वक्री ग्रह भाव चलित कुंडली में पिछले भाव में आते है तब वक्री होने से यह तीनों ग्रह भाव चलित कुंडली में अपनी भाव स्थिति से भी पिछले भाव का भी पूरा फल प्रदान करेंगे ऐसा कहा जा सकता है ? राहू व केतु ग्रह हमेशा वक्री रहते है तब क्या वक्री ग्रह होने से यह भी अपने से पिछले भाव का फल देगें ?

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