नाम के बदलने से बदल सकती है किस्मत?
कर्म प्रधान या नाम प्रधान ?
लोग कहते है व्यक्ति के नाम से इंसान की तरक्की होती है परन्तु कुछ कहते है
इन्सान की कामयाबी उसके कर्मों पर आधारित होती है, चलो आज इसी विषय पर विचार करते
है ,,,,
कहते
है इंसान का नाम उसकी किस्मत से जुड़ा होता है जैसे रामायण के रचियता तुलसीदास जी ने
विवरण दिया है की उनका बचपन का नाम रामबोला था परन्तु उनको यश और सफलता नहीं मिली परन्तु
जब समय बदला तब उनकी माता ने उनका नाम बदल कर तुसीदास रख दिया उसके बाद उसके
कर्मों का रुख बदलता चला गया और उनको भरपूर प्रसिद्धि और यश प्राप्त हुआ । मित्रों
कुंडली में चन्द्रमा जिस राशि और नक्षत्र में वास करता है उसी के पहले शब्द से नाम
लिया जाता है यदि चन्द्रमा वास का अक्षर
६, ८, या १२ घर के
ग्रह से रखा जाये तब जातक जीवन भर परेशानी झेलता है आर्थिक तंगी या बीमारी का
सामना या कुटुम्बियों से दुःख जीवन में आता है ।
नाम
के अक्षरों की गिनती भी भाग्य को प्रभावित करती है इसी कारण नामांकरण करते समय या बदलाव
के समय इस पर ध्यान देना जरूरी होता है । अगर राशि का निकला हुआ नाम नहीं रखा है तो
इसका ज्यादा असर नहीं पड़ता है । नाम के महत्व और अंक ज्योतिष के बारे में बहुत कुछ
लिखा गया है की नाम के अक्षरो में से जरूरतानुसार घटा बढ़ा देने से भाग्य में बदलाव
लाया जा सकता है। और नाम में परिवर्तन से पहले इसका शुभ महूर्त जानना सोने पे सुहागा
हो सकता है। इन सब तथ्यों पर विचार करके ही नाम में परिवर्तन करना चाहिए ।
नाम
बदलने के साथ ही जातक अपनी लिखाई को भी सुधार कर ले जैसे न ज्यादा गाढ़ा लिखे न ज्यादा
हल्का हो और साफ सुथरी लिखावट हो जाये तो भाग्य में भी परिवर्तन होते है । और मनुष्य
अपने जीवन में सफलता पाता है । जब जातक की लिखाई हलकी सी उप्र जाती प्रतीत हो तो मनुष्य
जीवन में धीरे धीरे उन्नति करता है । जिस जातक की लिखाई बायीं ओर झुकी सी हो तब वह
मनुष्य मिलनसार और हंसमुख प्रकृति का होता है । जिस जातक की लिखाई दाई ओर झुके तब वह
मनुष्य अकेला रहना चाहता है । जिसकी लिखाई भद्दी, टेढ़ी मेढ़ी
हो तो उसके जीवन में परेशानियाँ होती ही है। हाथ की लिखाई जिंदगी की शुरुआत होती है
अत उसे साफ़ बनाना चाहिए, वहीँ से तरक्की के रास्ते खुलने शुरू हो जाते है । कर्मों
के फल को कोई नहीं रोक सकता इसलिए हमे सदकर्म करने चाहिए ताकि हमारे जीवन में कम
से कम बाधाये आये। इसके साथ ही मनुष्य को रात को जल्दी सोना चाहिए और सुबह जल्दी उठकर
भगवन्नाम का स्मरण करना उचित रहता है की हे प्रभो मैं तो आपका दास हूँ मुझे गिरने से संभालिये । आप इस समस्त
सृष्टि के स्वामी है मुझे अपनी शरण ले ले । इस प्रकार प्रभु कृपा से आधे कष्ट तो वैसे
ही दूर हो जाते है ।
अंत
में मैं यही कहना चाहता हूँ की अपने कर्मों में शुद्धता को बनाये रखे जिससे क्योकि
शुद्ध कर्म करने वाले का नाम चाहे कुछ भी हो वो व्यक्ति यश को प्राप्त जरूर करेगा
, और कितना भी सुंदर नाम रख ले अगर उत्तम कर्मों का अभाव है तो व्यक्ति निंदा का
भागीदार ही रहेगा. इन सब बातों से पता चलता है की व्यक्ति का कर्म ही प्रधान है
नाम बस ऐसा रखो जिसे बोलने में प्रसन्नता हो .
जय श्री राम
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