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गृह दशा से फलादेश | Grah Dasha se Faladesh

ग्रहों का पहले भाव में होने से प्राप्त फ़लादेश-

यदि लगनस्वामी शुभ ग्रह हो और किसी पाप ग्रह से पीड़ित या दृष्ट न हो और केंद्र में १---१० भाव में अपनी राशि मित्र के साथ उच्च,मूल,या त्रिकोण राशि में विराजित हो तो जातक बहुत सुंदर, गुणी, ज्ञानवान, रोगरहित और सदैव सुखवान होता है ।

यदि लग्न में मंगल के साथ किसी पाप ग्रह की कुदृष्टि हो और लग्न में स्तिथ हो तो जातक के चेहरे पर दाग धब्बे होते है जैसे दाग धब्बे, चेचक या फोड़े फुंसियों के या काले निशान आदि ।

गृह दशा से फलादेश


यदि लग्न में बृहस्पति या शुक्र विराजित हो या उनकी शुभ दृष्टि पड़ रही हो तो जातक रोगरहित, सुंदर, संयमी, प्रज्ञावान, स्थिर चित, पुण्यात्मा, सबको अपनी तरफ प्रभावित करने वाला होता है ।

यदि लग्न में उच्च राशि और अंश का बुद्ध, गुरु व शुक्र होने से जातक अतुल्य पैसा और विद्या(ज्ञान) प्राप्त करता है ।

जातक का लग्नेश यदि ६--१२ भाव में बैठा हो तो जातक पैसे वाला होने पर भी अंत में गरीब हो जाता है ।

यदि लग्न के भाव में चन्द्रमा या शुक्र बैठा हो तो जातक भोग विलास का इच्छुक होता है और रुपया पैसा बर्बाद करता है । यदि शुक्र तुला स्तिथ लग्न में मंगल से पूर्णतः दृष्ट हो तो जातक के दो स्त्रीयों से सम्बन्ध बनते है ।

Grah Dasha se Faladesh


यदि लग्न में बुद्ध और सांतवे भाव में बृहस्पति हो तब जातक संयमी, उल्लासपूर्ण और हंसोड़ प्रकृति का होता है । ऐसे जातको की वाणी बहुत ही मीठी होती है । उच्च राशि स्वामी ग्रह अगर केंद्र में बैठा होता है तो जातक सज्जन होता है ।


यदि १---११ भाव का स्वामी ग्रह उच्च राशि में बैठा हो और अपने घर में विराजित हो तब जातक बहुत सुखी, बहुत वैभव पाने वाला और अधिकार प्राप्त होता है ।

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